अनजान सी सुबह थी, अनजान वो समां था,
अनजान था वो जूनून, अनजान वो लम्हा था,
अनजान सी आवाज ने अनजान सी चाह दिल में जगाई,
अनजान जो आवाज थी, ना थी अब वो पराई,
उस अनजाने से एहसास ने जीना हमें सिखा दिया
अनजान थे हम ख़ुद से अब तक, आज हमसे हमें मिला दिया,
अनजान राह जो हमने चुनी थी, ना अब वो अनजान थी,
हर चौक की, हर मोड़ की अब हमको पहचान थी,
हर अनजान खुशबु उस राह की, अब हमारी जान थी,
अनजान हो गए हम दुनिया से, हम्मारी दुनिया अब बाकी दुनिया से अनजान थी,
कब पहर बीते, कब मौसम बदलें, हमारी जिंदगी इससे अनजान थी,
खोय है थे हम उस दुनिया में, जो हमारा ख्वाब थी,
अनजाने से हमारे अपनों ने उस अनजान ख्वाब से हमें जगा दिया,
पर उस अनजाने से ख्वाब ने जीना हमें सिखा दिया
Life is a learning process during which one experiences a number of things- some good, some bad. Sometimes you lose, sometimes succeed. Wht matter in end is how much u learn from these experiences. Success is to be measured not by the position that one has achieved in life but by the obstacles that one overcome. This blog says what I am? Its all abt what I have learned from life till now and has helped me to grow as a person ....may be you also have a same story!
Saturday, January 17, 2009
Thursday, January 15, 2009
वर्तमान, इतिहास और भविष्य
एक बार इतिहास, वर्तमान और भविष्य में बहस हो रही थी
कौन है सबसे बलिष्ठ और महत्तवपूर्ण इस पर चर्चा हो रही थी
इतिहास ने पूरे विश्वास के साथ कहा मै ही तो वर्तमान और भविष्य की नींव हूँ,
आज जो पोधा है, कल वृक्ष होगा, उसका बीज हूँ,
जब वर्तमान ने ये सुना तो सोचा उसने क्यों हो इतिहास के बोल-बाला,
अपने को ऊँचा साबित करने के लिए उसने भी अपना मुंह खोल डाला,
कहा उसने वर्तमान के बिना नही बनता इतिहास या भविष्य है,
वर्तमान में किया गया काम ही तो काल का इतिहास या आने वाले भविष्य की नींव है,
इसलिए वो ही सबसे बलिष्ठ है,
भविष्य ने तब अपनी समझदारी दिखाई,
उसने कुछ ही शब्दों में तीनों की मेह्त्त्वता कह बतलाई
कहा उसने-इतिहास से सीख ले इंसान भविष्य बनाता है,
वर्तमान, इतिहास और भविष्य के बीच का नाता है,
यह बात तीनो के दिल को भायी
चंद शब्दों में ही भर गई वो दरार जो बन सकती थी खाई
कौन है सबसे बलिष्ठ और महत्तवपूर्ण इस पर चर्चा हो रही थी
इतिहास ने पूरे विश्वास के साथ कहा मै ही तो वर्तमान और भविष्य की नींव हूँ,
आज जो पोधा है, कल वृक्ष होगा, उसका बीज हूँ,
जब वर्तमान ने ये सुना तो सोचा उसने क्यों हो इतिहास के बोल-बाला,
अपने को ऊँचा साबित करने के लिए उसने भी अपना मुंह खोल डाला,
कहा उसने वर्तमान के बिना नही बनता इतिहास या भविष्य है,
वर्तमान में किया गया काम ही तो काल का इतिहास या आने वाले भविष्य की नींव है,
इसलिए वो ही सबसे बलिष्ठ है,
भविष्य ने तब अपनी समझदारी दिखाई,
उसने कुछ ही शब्दों में तीनों की मेह्त्त्वता कह बतलाई
कहा उसने-इतिहास से सीख ले इंसान भविष्य बनाता है,
वर्तमान, इतिहास और भविष्य के बीच का नाता है,
यह बात तीनो के दिल को भायी
चंद शब्दों में ही भर गई वो दरार जो बन सकती थी खाई
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