Friday, November 21, 2008

इश्क

कभी -कभार ऐसा हो जाता है

कोई अपना कभी हमेशा ही आपके ख्यालो में होता है

कभी आप खोये रहते है उनकी यादों मे

कभी उनकी यादों का कारवा आपके साथ चलता है

कभी चाहत किसी की आपकी रूह को छु जाती है

तो कभी आपकी रूह ही किसी ओर की हो जाती है

जालिम यह इश्क भी एक मर्ज है

हो जाए तो उल्फत न हो तो आफत है

3 comments:

PULKIT said...

a good attempt, i know ur personal state currently and thus it is obvious that u havent been as productive as ur previous posts, the length of the creativity was also bit short this time , but then again! keep writing and keep learning as u currectly says always - life is a learning experience!
regards
pulkit
(if u dont post anything new soon then please try to spare some time to upgrade and customize ur blog a bit, so that it has some of ur personel touch,just an advice from me{a sincere wellwisher of urs})
tc!

रवि रतलामी said...

जालिम इश्क एक मर्ज है...

इश्क एक नहीं, सौ किस्म का मर्ज है. फिर भी ये खूबसूरत मर्ज है. सभी को अपने काम से, अपने विचारों, धारणाओं से, प्रोफेशन से यानी सबसे जबरदस्त इश्क होना ही चाहिए...

Madhur Kashyap said...

इश्क वो मर्ज़ है जो दुनिया उलटी दिखाता है
धडकनों के अर्ध एहसास को पूरा करता है